के यादों का असीम सागर है, कुछ खुशियाँ तो कुछ आँसू ही सही,
के मैं तन्हा तो हूँ पर अकेला नहीं...
भटकते इन गुमनाम अंधेरों में, शायद खुद से ही मिल जाऊं कहीं,
के मैं तन्हा तो हूँ पर अकेला नहीं...
हर मुश्किल का हल है यहाँ,स्वयं प्रभु भी मिल जायें यहीं,
के मैं तन्हा तो हूँ पर अकेला नहीं...
के अंधेरोन में ही खिलती है रोशनी, है कहा किसी ने सही,
के मैं तन्हा तो हूँ पर अकेला नहीं...
के तन्हाई का अपना मज़ा है, जो महफ़िलों में भी नहीं,
के हो इसका गर साथ, तो तन्हा होकर भी मैं अकेला नहीं...
For #indispire edition 49
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