Sunday, 31 May 2015

हाल-ए-दिल : #Fool Me Twice

Only way to know if you can trust someone is to trust them...but sometimes trust is not the only reason that compels you to give them a potential chance to break your heart...sometimes it is love. The good thing about love is that it doesn’t calculate the outcome but hopes for the best one and this is the bad thing about it too...because this is not exactly what happens every time. But whatever happens...love always prevails...


उनकी हालत पे ग़म न कर, के दिलों का टूटना....तो दस्तूर है प्यार का,



 कभी डूब जाती है कश्ती, तो कभी दोष होता है मझधार का,


कभी हम ही समझ पाते नहीं, और दिल तोड़ देते हैं दिलदार का,



 दिल... टूट कर भी आहें भरता ही है, के मोहताज है ये किसी के प्यार का,


धड़कता है ये बस उसी के नाम से, और मौका दे ही बैठता है...फ़िर इकरार का,



 ये इश्क़ ही है और उसकी कोमलता, जो टूटे दिल को...फ़िर सजा देती है,


महकाती है इस जीवन को, और जीने की वजह देती है,



 मोहब्बत मौकों से उपर है , के इससे ही हर पल ख़ास है,


के गीत कई  गुनगुनाने हैं अभी, और समय ही हमारा साज़ है...

 


Well almost always...because for some people it just ends up being the most bitter of potions...

  

मुद्दतें बीती ख़ुशियों की चाह में, के हमने ग़म में भी मुस्कुराना सीख लिया, 


मिला ना कांधा भी जब इन आँसुओं को, हमने ख़ुद को ही मनाना सीख लिया... 



Saturday, 30 May 2015

राबता...#Missme

 
“Of course it is happening inside your head, Harry, but why on earth should that mean it is not real?”
                                   
                                      - Albus Dumbledore (He seems to have an answer for everything)


                  If I had to answer this in one word, it would have been "Everything". It certainly sums it up but can't really describe the emotional turmoil which triggers the intense desire to be back in time and steal one more hug, one more kiss or just...just something. It seems so hard to contain this restless soul in my physical being but may be I am getting good at it...



" छलक जाए ना इस दिल से कोई ग़म , के अक्सर यूँही हंस लिया करता हूँ,


टूट जाता था जिनपर आँसुओं का बाँध , उन जज़्बात को कस लिया करता हूँ,


के ख़ौफ़ नहीं अब और किसी का, बस फिर से मरने से डरता हूँ..."

 

We may try but not missing them is just not an option...



" उन्हें भूल पाना अब मुमकिन नहीं , के ये कोमल एहसास ही साँसों का सहारा बन गया,


साहिलों से नाता टूटे ज़माना हो चला, के उफनते इस सागर में ये तिनका ही सहारा बन गया..."


                    We should not be sad because they are not here and we can't see them...but we should smile because they lived. They are watching us and we can make them happy by being someone they would want us to be...


                     This post was written for indispire edition 67 : What do you miss most about people who are no longer in your life or have stopped being someone important ? #Missme


Monday, 25 May 2015

#StepBackward : बीते पल...

This topic has put me right in front of the “mirror of erised” (yes again a harry potter reference...can’t help it). It just showed me what I wanted the most but not how I could do that or even if it was possible anymore. Obviously I have made my share of mistakes and for some things I would give almost anything if I could just change that one moment. But I know it is not possible and I can say that because may be I have already tried everything that is possible. All we can do is move on...and it is always better said with poetry...


" ज़ख़्म बिका करते नहीं बाज़ारों में, ये तो तोहफ़े में मिला करते हैं ,


पर वक़्त के आगे इनकी क्या बिसात, जाने क्यूँ हम गिला करते हैं ,


के इन बेदर्द दरारों में ही , यादों के महकते फ़ूल खिला करते हैं..."



We tend to ignore small things is life waiting for something big but it’s such a waste of time. The poet in me would like to add...


सुनहरे सपनों की आड़ में , ज़िंदगी के रंगीन पल...गुप-छुप कर निकल जाते हैं ,


गिर कर उठना तो याद रहता है, भूल जाते हैं...जब हम लड़खडाकर संभल जाते हैं ;



यही  पल धुंधली यादें बनकर , होठों पर कभी झिलमिलाते हैं ,


और कभी आँसू बनकर, आँखों में पिघल आते हैं ;



वक़्त से इस कश्मकश में दिल-ए-नादां  मुस्कुरा ही लेता है ,


बस खुशी के पैमाने बदल जाते हैं...खुशी के पैमाने बदल जाते हैं... |



Yes we need to stop looking around and peek inside for a change and acknowledge the fact that 
                                     
                                        'Life is beautiful*
                                                                  
                                                                  *Conditions Apply'


मुक़म्मल जहाँ की तलाश में, फिरते रहे मारे-मारे ,


कैसे मिले जो खोया ही नहीं, हर पल पास है हमारे ,


आँखें बंद करने की देरी है, जी उठेंगे ये दिलकश नज़ारे,


के लड़खड़ाते कदम राह ढूंड ही लेंगे,


कभी यादों की भीड़ में...कभी तनहाई के सहारे...


This post was written for indispire Life can change in a second. Have you ever wished if there was an "Undo" button in real life...? And "Step Backward" as in Photoshop..? #StepsBackward

Thursday, 21 May 2015

Let there be light...


“Happiness can be found in the darkest of times, 
if one remembers to turn on the light”

-                                                -Albus Percival  Wulfric Brian Dumbledore


Yes I am a Harry Potter series fan but  it  is not why I love this quote. This would make perfect sense even if I didn’t know who Dumbledore was (how unfortunate that would have been though). This quote is all about positive attitude and it gives me hope. What dumbledore meant is that the essence of being happy lies in the desire to be one however it is easier said than done. If a broken heart could speak...he would say...

इन साँसों की बेशर्मी पे हैरां हूँ, 


के चलती ही रही... खुद ज़िंदगी को खोकर;


चुकाई हर हँसी की कीमत, घंटों अंधेरों में रोकर;


के जाने ये वक़्त... हर बार कैसे मात दे जाता है, 


खुद भी जलकर देख लिया, पर अंधेरा लौट ही आता है |


When it feels like there is no way out and you keep drowning in your own despair, you just need to remember 'to switch on the light'. You will be mesmerized to see what a little hope can achieve. I have a  thing for hindi poetry and I am sure these lines will ignite some hope whenever you need some light.

उलझनों की कशमकश में, उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ ;


ए ज़िंदगी तेरी हर चल के लिए मैं दो चल लिए बैठा हूँ ;


लुत्फ़ उठा रहा हूँ, मैं भी इस आँख-मिचोली का ;


मिलेगी कामयाबी, के हौसला कमाल लिए बैठा हूँ ;


चल मान लिया दो चार दिन नहीं मेरे मुताबिक ;


पर गिरेबान में अपने, मैं उम्र तमाम लिए बैठा हूँ ;


ये लहरें ये तूफान, तुम्हें मुबारक ;


मैं बेफ़िक्र, कश्ती और दोस्त कमाल लिए बैठा हूँ |


Let there be light and thou shall see...

This post is a part of Write Over the Weekend, an initiative for Indian Bloggers by BlogAdda.


Monday, 18 May 2015

Kabira Revisited...

All the money and no need to work...it's like a dream come true and my dream is to travel the uncharted, read all I can and write about it...poetry is what gives me pleasure when I am wandering in my thoughts and tumbling down the rabbit hole...Here is something to think about...#passion


काल करे सो काल ही कर, के आज भी तो कल का कल;


करते जाने की होड़ में, कहीं बीत ना जाए ये पल |


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आपहु मस्ती काटिए, हँसिए और हंसाए,


चिंता का ऐनक उतार फेंक, तो जाग सुंदर हो जाए ;


ऐसा जीवन हो लाजवाब, गर सच में कोई कर पाए,


सच्चा साथी है मूल मंत्र , जो सच्ची राह दिखाए  |


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गुरु गोविंद दौऊ खड़े , काके लागूँ पाए ;


आज कल के दौर में , they just say...'Hi' |


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I shall keep working as a doctor though but with all the money in my pocket I may take the liberty to practice for charity only and concentrate on enjoying my life and pursuing my dreams. #passion  is what keeps me going and I hope it takes me far enough...

ये उन दिनों की बात है...

I wrote these lines in anticipation of meeting the love of my life...my beloved wife.
It has been two beautiful years now and it is wonderful to be able to feel those moments again...hope you feel the same...


ढूँढता हूँ तुझे इन लकीरों में , के तेरी ख़्वाहिश बेइंतहाँ है ;

है बसा तेरा अक्स इस दिल में , पर जाने तू कहाँ है...जाने तू कहाँ है |


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वो कहते हैं तू ख़याल है बस...इस पागल दिल का फ़ितूर है तू  ;


पर ज़िंदा हूँ मैं...खुद सुबूत है ये, के शायद कहीं ज़रूर है तू  |


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ख़्वाब में मिलीं कल नज़रें उनसे...जाने दो पल में क्या कह गयीं ;


हम तो अंदाज़-ए-बयाँ पर ही मर मिटे...और बात अधूरी रह गयी |


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तेरे ख़यालों में ऐसा डूबा...जैसे वर्षा घनघोर हुई ;


जाने कब बीती रात ...और जाने कब भोर हुई |


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ये तू नहीं...तेरी याद है बस...अब कौन इस दिल को समझाए ;


तेरी जूसतजू ने शायर किया...एक झलक जाने क्या कर जाए |


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तेरा नाम लबों से गुज़रे अर्सा हुआ, पर मुस्कुराहट अभी बाकी है ;


कैसे भुला दूं तुझे ए हमनशीं ...के चाहत अभी बाकी है |


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महफ़िलों में जाना छोड़ दिया हमनें, के बेरंग हो चला ये जहाँ  ;


के तेरे इंतज़ार में जो मज़ा है, वो उनके मिलने में कहाँ |


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वो कहते हैं सपनों में जीना कोई अच्छी बात नहीं, फ़िर क्यूँ तुम इन ख्वाबों से निकल आती नहीं ;


चाहत नहीं क्या  ए हमनशीं हमसे...या बस मेरी तरह जताती नहीं |


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  लाख़ की कोशिश हमनें ...के ये जज़्बात इन लफ़्ज़ों में समा जायें ;


पर इन तन्हाइयों में वो नूर कहाँ...के रूठे इन अल्फ़ाज़ को मना पायें |


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